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राज्यों के लिए नागरिक केन्द्रित सुधारों को लागू करने की समय-सीमा 15 फरवरी, 2021 तक बढ़ाई गई

 वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने राज्यों को विभिन्न क्षेत्रों में नागरिक केंद्रित सुधारों को पूर्ण करने के लिए समय-सीमा बढ़ा दी है। अब यदि सुधार के कार्यान्वयन के संबंध में नोडल मंत्रालय की सिफारिश 15 फरवरी, 2021 तक प्राप्त हो जाती है तो राज्य सुधार से जुड़े लाभों के लिए पात्र होगा।

भारत सरकार ने राज्यों द्वारा सुधार के लिए चार महत्वपूर्ण क्षेत्रों की पहचान की है:

• एक राष्ट्र एक राशन कार्ड प्रणाली का कार्यान्वयन,

• कारोबारी सुगमता सुधार,

• शहरी स्थानीय निकाय/उपयोगिता सुधार और

• विद्युत क्षेत्र में सुधार

इन सुधार के क्षेत्रों के संबंध में 17 मई, 2020 को राज्यों को सूचित किया गया था।

सुधारों को सफलतापूर्वक पूर्ण करने वाले राज्य दो लाभ प्राप्त करने के पात्र हैं। ऐसे राज्यों को प्रत्येक सुधार को पूरा करने के लिए उनके सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के 0.25 प्रतिशत के बराबर अतिरिक्त ऋण की सुविधा मिलती है। इस सुविधा के तहत, सभी चार सुधारों को पूरा करने पर राज्यों को 2.14 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त ऋण का लाभ मिलता है।

कोविड-19 महामारी से उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने के लिए संसाधन की आवश्यकता के मद्देनजर, भारत सरकार ने मई, 2020 में राज्यों की ऋण सीमा को उनके जीएसडीपी के 2 प्रतिशत तक बढ़ाने का निर्णय लिया था। इसका उद्देश्य राज्यों को 4.27 लाख करोड़ रुपये तक के अतिरिक्त वित्तीय संसाधन जुटाने में सक्षम बनाना था। इस विशेष वितरण का आधा सुधारों से जुड़ा था। इसका उद्देश्य राज्यों को विभिन्न नागरिक केन्द्रित क्षेत्रों में सुधार करने के लिए प्रेरित करना था।

चार में से तीन सुधारों को पूरा करने वाले राज्यों को उपलब्ध दूसरा लाभ "पूंजीगत व्यय के लिए राज्यों को वित्तीय सहायता की योजना" के तहत अतिरिक्त वित्तीय सहायता है। इस योजना के तहत, उन राज्यों के लिए 2,000 करोड़ रुपये की राशि निर्धारित की गई है, जो चार में से कम से कम तीन सुधारों को पूरा करेंगे।

इस योजना की घोषणा वित्त मंत्री ने 12 अक्टूबर, 2010 को आत्मनिर्भर भारत पैकेज 2.0 के हिस्से के रूप में की थी। यह राज्य सरकारों द्वारा पूंजीगत व्यय को बढ़ावा देने के उद्देश्य से है, जो इस वर्ष कोविड-19 महामारी से उत्पन्न कर राजस्व में कमी के कारण कठिन वित्तीय परिस्थिति का सामना कर रहे हैं। इस योजना के तहत भारत सरकार द्वारा कुल 12,000 करोड़ रुपये की राशि निकाली गई है। पूंजीगत व्यय का एक उच्च गुणक प्रभाव पड़ता है, जो अर्थव्यवस्था की भविष्य की उत्पादक क्षमता को बढ़ाता है और जिसके परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था की उच्च दर विकसित होती है।

दोनों प्रोत्साहनों ने राज्यों को सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया है। अब तक 9 राज्यों ने वन नेशन वन राशन कार्ड प्रणाली को लागू किया है, 4 राज्यों ने कारोबारी सुगमता सुधार और एक राज्य ने शहरी स्थानीय निकाय/उपयोगिता सुधार किए हैं। इन राज्यों को 40,251 करोड़ रुपये के अतिरिक्त ऋण की अनुमति दी गई है। सुधारों को पूरा करने के लिए समय-सीमा बढ़ाने से अन्य राज्यों को भी सुधार प्रक्रिया को तेजी से पूरा करने और जुड़े हुए वित्तीय लाभ प्राप्त करने के लिए प्रेरित होने की संभावना है।

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एमजी/एएम/एसकेएस/सीएल/एसके

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