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जयपुर| "एक नया मुक्ताकाश" कविमन संग्रह है जिसमें देश के 10 कविमन अपनी कविताओं  के साथ नज़र आ रहे है । कुछ नए कुछ पुराने  कुछ परिपक्व और कुछ परिपक्व होने की कोशिश में है । इन सभी के शब्द एक संग्रह के रूप में आया है जिसका सम्पादन अंशु हर्ष ने किया है और सिम्पली जयपुर पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित किया गया है।  

किताब का विमोचन ज़ूम के माध्यम से फेसबुक , यूट्यूब और ट्विटर पर लाइव किया गया। कवर पेज पर चित्र पद्म श्री शाकिर अली जी द्वारा बनाया गया है। व फॉरवर्ड अभिनेता व लेखक आशीष शर्मा ने लिखा है । कार्यक्रम का संचालन संदीप कौशिक ने किया और  समीक्षक के रूप में डॉ दुर्गा प्रसाद अग्रवाल उपस्थित रहे व् सभी कवियों ने अपनी अपनी रचनाएं पेश की।  

मन का पंछी जब एक उड़ान भरता है तो मन में कई भाव जन्म लेते है और ये भाव कलम के जरिये कागज पर उतरने की कोशिश करते है।  कई बार ये कोशिश सफल रहती है और कई बार असफल, इन्ही तमाम कोशिशों का साझा संकलन है एक नया मुक्ताकाश।  मुक्ताकाश इसलिए की मन के आकाश में उड़ते शब्दों को कैद करने की कोशिश है ये,  लेकिन ये कैद किसी पिंजरे जैसी नहीं , एक आसमान सा पिंजरा है और भाव पंछी ... मन को पंछी बनाया तभी तो इस मुक्ताकाश में देश भर के साथी है  जो मन को पंछी बना ले आये यहां क्योंकि पंछियों के लिए सरहद कहाँ मायने रखती है। एक नया मुक्ताकाश की ख़ूबसूरती उसमें लिखे हुए भाव है जो उन लोगों द्वारा लिखे गए है जो प्रोफेशनल लेख़क नहीं है , सिर्फ अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति कर रहे है शब्दों के माध्यम से।

आवरण पेंटिंग -  पदम् श्री शाकिर अली जी का जन्म 1956 में हुआ , राजस्थान विश्वविद्यालय से स्नातक शाकिर अली ने 15 वर्ष की उम्र में पेंटिंग करने की शुरुआत की थी।  उनकी प्रेरणा उनके दादा सैयद हामिद जो खुद एक पेंटर थे और उनके पिता एस साबिर अली कलाओं का संग्रह करते थे। उन्होंने गुरु पद्मश्री राम गोपाल विजयवर्गीय व् श्री वेद पाल शर्मा से सीखना शुरू किया।  देश विदेश में ख्याति अर्जित कर  कई बड़े सम्मान से नवाज़े गए जिनमें  1993 में तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा द्वारा नेशनल अवार्ड और 2013 में पद्म श्री सम्मान भारत के गौरव के रूप में अंकित है।  इन दिनों शाकिर साहब मॉर्डन मिनिएचर पर काम कर रहे है व् आवरण पर नज़र आती पेंटिंग का थीम  जोधपुर शैली की पेंटिंग है जिसमें राजा रानी अपने बाग़ में खुले आसमान के नीचे सैर करते नज़र आ रहे है।  

अभिनेता आशीष शर्मा ने फॉरवर्ड लिखा है , आशीष फिल्म और टेलीविजन के अभिनेता तो है ही साथ ही स्वयं लेखक भी है।  जब उन्होंने देखा की विभिन्न प्रोफेशनल लोग कवितायेँ लिख रहे है तो उन्होंने सहर्ष फ़ॉरवर्ड लिखने का प्रस्ताव स्वीकार किया कार्यक्रम के दौरान उन्होंने किताब में  से कवितायेँ भी पढ़ी और अपनी स्वयं की रचना भी सुनाई।

"एक नया मुक्ताकाश" का हुआ विमोचन, न्यू नॉर्मल की तर्ज़ पर ऑनलाइन विमोचन

जयपुर| "एक नया मुक्ताकाश" कविमन संग्रह है जिसमें देश के 10 कविमन अपनी कविताओं  के साथ नज़र आ रहे है । कुछ नए कुछ पुराने  कुछ परिपक्व और कुछ परिपक्व होने की कोशिश में है । इन सभी के शब्द एक संग्रह के रूप में आया है जिसका सम्पादन अंशु हर्ष ने किया है और सिम्पली जयपुर पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित किया गया है।  

किताब का विमोचन ज़ूम के माध्यम से फेसबुक , यूट्यूब और ट्विटर पर लाइव किया गया। कवर पेज पर चित्र पद्म श्री शाकिर अली जी द्वारा बनाया गया है। व फॉरवर्ड अभिनेता व लेखक आशीष शर्मा ने लिखा है । कार्यक्रम का संचालन संदीप कौशिक ने किया और  समीक्षक के रूप में डॉ दुर्गा प्रसाद अग्रवाल उपस्थित रहे व् सभी कवियों ने अपनी अपनी रचनाएं पेश की।  

मन का पंछी जब एक उड़ान भरता है तो मन में कई भाव जन्म लेते है और ये भाव कलम के जरिये कागज पर उतरने की कोशिश करते है।  कई बार ये कोशिश सफल रहती है और कई बार असफल, इन्ही तमाम कोशिशों का साझा संकलन है एक नया मुक्ताकाश।  मुक्ताकाश इसलिए की मन के आकाश में उड़ते शब्दों को कैद करने की कोशिश है ये,  लेकिन ये कैद किसी पिंजरे जैसी नहीं , एक आसमान सा पिंजरा है और भाव पंछी ... मन को पंछी बनाया तभी तो इस मुक्ताकाश में देश भर के साथी है  जो मन को पंछी बना ले आये यहां क्योंकि पंछियों के लिए सरहद कहाँ मायने रखती है। एक नया मुक्ताकाश की ख़ूबसूरती उसमें लिखे हुए भाव है जो उन लोगों द्वारा लिखे गए है जो प्रोफेशनल लेख़क नहीं है , सिर्फ अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति कर रहे है शब्दों के माध्यम से।

आवरण पेंटिंग -  पदम् श्री शाकिर अली जी का जन्म 1956 में हुआ , राजस्थान विश्वविद्यालय से स्नातक शाकिर अली ने 15 वर्ष की उम्र में पेंटिंग करने की शुरुआत की थी।  उनकी प्रेरणा उनके दादा सैयद हामिद जो खुद एक पेंटर थे और उनके पिता एस साबिर अली कलाओं का संग्रह करते थे। उन्होंने गुरु पद्मश्री राम गोपाल विजयवर्गीय व् श्री वेद पाल शर्मा से सीखना शुरू किया।  देश विदेश में ख्याति अर्जित कर  कई बड़े सम्मान से नवाज़े गए जिनमें  1993 में तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा द्वारा नेशनल अवार्ड और 2013 में पद्म श्री सम्मान भारत के गौरव के रूप में अंकित है।  इन दिनों शाकिर साहब मॉर्डन मिनिएचर पर काम कर रहे है व् आवरण पर नज़र आती पेंटिंग का थीम  जोधपुर शैली की पेंटिंग है जिसमें राजा रानी अपने बाग़ में खुले आसमान के नीचे सैर करते नज़र आ रहे है।  

अभिनेता आशीष शर्मा ने फॉरवर्ड लिखा है , आशीष फिल्म और टेलीविजन के अभिनेता तो है ही साथ ही स्वयं लेखक भी है।  जब उन्होंने देखा की विभिन्न प्रोफेशनल लोग कवितायेँ लिख रहे है तो उन्होंने सहर्ष फ़ॉरवर्ड लिखने का प्रस्ताव स्वीकार किया कार्यक्रम के दौरान उन्होंने किताब में  से कवितायेँ भी पढ़ी और अपनी स्वयं की रचना भी सुनाई।

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