Halaman

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निवर्तमान प्रदेश सचिव राजस्थान कांग्रेस कमेटी, कोऑर्डिनेटर नासा (नोबल एक्टिविटी एं सोशल अवेयरनेस ) संगीता गर्ग द्वारा हाथरस में मनीषा के साथ हुए हादसे के लिए श्रद्धांजलि अर्पित की गई और उनके द्वारा मांग कि गई की मनीषा को जल्द से जल्द न्याय मिले एवं दोषियों को फांसी की सजा मिले।

मनीषा वाल्मिकी की रूह से निकलती आह को संगीता राम गर्ग हिंदुस्तानी ने शब्द भी दिए है -

 बेटी के इंसाफ की लड़ाई

बस इतना ही कहना चाहूंगी ,

मत मारो मुझे , मत नोचों मुझे ।

बेटी होने का भी सम्मान ना दो मुझे,

पर जानवर ना मान , इंसान तो मानो मुझे ।

जानवर के साथ भी ना होता इतना बुरा ,

दरिंदों ने इतना नोचा मुझे ।

मै तो चली गई , अब इंसाफ तो दे दो मुझे ।

जिस हिंदुस्तान में संस्कृति की देते दुहाई ,

वहां के लोगों ने ना जान बचाई ।

हर मां बाप की फुट पड़ती रुलाई ,

जब बेटी होती है पराई ।

ना मै हुई पराई , ना मेरी हुई सगाई । 

बस मेरे तो शरीर की हुई नुचाई ।

अंत समय में भी मेरी देह ,

मां बाप से ना मिल पाई ।

परिजनों ने भी ना आग लगाई ,

तड़प कर रह गए हम सभी ,

पर ना मिल सके बाप और भाई ।

ऐसे मेरी आत्मा को कैसे मिलेगी रिहाई ।

नेता करेगा राजनीति की चमकाई ।

प्रशासन ने मेरी सच्चाई छुपाई ।

हिंदुस्तान को पता लगने दो सच्चाई ,

पर मीडिया को जब तक मिलेगी मलाई ।

तब तक गरीब की आवाज दबाई । 

हिंदुस्तान करना मेरे लिए दुहाई ,

मै तो चली गई , करना मेरे लिए इंसाफ की लड़ाई ।

मनीषा_वाल्मिकी #हाथरस #उत्तरप्रदेश

मनीषा वाल्मिकी की रूह से निकलती आह को संगीता राम गर्ग हिंदुस्तानी ने शब्द दिए है

निवर्तमान प्रदेश सचिव राजस्थान कांग्रेस कमेटी, कोऑर्डिनेटर नासा (नोबल एक्टिविटी एं सोशल अवेयरनेस ) संगीता गर्ग द्वारा हाथरस में मनीषा के साथ हुए हादसे के लिए श्रद्धांजलि अर्पित की गई और उनके द्वारा मांग कि गई की मनीषा को जल्द से जल्द न्याय मिले एवं दोषियों को फांसी की सजा मिले।

मनीषा वाल्मिकी की रूह से निकलती आह को संगीता राम गर्ग हिंदुस्तानी ने शब्द भी दिए है -

 बेटी के इंसाफ की लड़ाई

बस इतना ही कहना चाहूंगी ,

मत मारो मुझे , मत नोचों मुझे ।

बेटी होने का भी सम्मान ना दो मुझे,

पर जानवर ना मान , इंसान तो मानो मुझे ।

जानवर के साथ भी ना होता इतना बुरा ,

दरिंदों ने इतना नोचा मुझे ।

मै तो चली गई , अब इंसाफ तो दे दो मुझे ।

जिस हिंदुस्तान में संस्कृति की देते दुहाई ,

वहां के लोगों ने ना जान बचाई ।

हर मां बाप की फुट पड़ती रुलाई ,

जब बेटी होती है पराई ।

ना मै हुई पराई , ना मेरी हुई सगाई । 

बस मेरे तो शरीर की हुई नुचाई ।

अंत समय में भी मेरी देह ,

मां बाप से ना मिल पाई ।

परिजनों ने भी ना आग लगाई ,

तड़प कर रह गए हम सभी ,

पर ना मिल सके बाप और भाई ।

ऐसे मेरी आत्मा को कैसे मिलेगी रिहाई ।

नेता करेगा राजनीति की चमकाई ।

प्रशासन ने मेरी सच्चाई छुपाई ।

हिंदुस्तान को पता लगने दो सच्चाई ,

पर मीडिया को जब तक मिलेगी मलाई ।

तब तक गरीब की आवाज दबाई । 

हिंदुस्तान करना मेरे लिए दुहाई ,

मै तो चली गई , करना मेरे लिए इंसाफ की लड़ाई ।

मनीषा_वाल्मिकी #हाथरस #उत्तरप्रदेश

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