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जयपुर| श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर कीर्तिनगर जयपुर मैं 7 दिसम्बर 2019 को आयोजित धर्म सभा में प्रखर प्रवक्ता 108 आचार्य श्री विवेक सागर जी  महाराज ने कहा कि अहंकार व ममकार प्राणी के शत्रु है। इनसे कषाय भाव बढ़ते है जो जीवन मे बाधक एवं दुखदायी है। अहंकार वश मानव झुकना नही चाहता वरन दुसरो को झुकाना  चाहता है व उन्हें छोटा समझता है। आचार्यश्री ने कहा कि आज धन ही सर्वोपरि है। धनवान ही समाज मे प्रतिष्ठित माना जाता है। सदाचारी व धार्मिक को कोई सम्मान नही मिलता।
विनय सर्वोत्तम गुण है। विनय से ज्ञान, ज्ञान से दर्शन, दर्शन से चरित्र, चरित्र से मोक्ष मार्ग प्रशस्त होता है। जीवन मे विनम्रता से अहंकार का क्षय तथा देव गुरु शास्त्रो में श्रद्धा आती है, विनयी मानव सभी को प्रिय लगता है। जीवन मे कठोरता व अहंकार का परित्याग कर विनम्र बनने में सार्थकता है।

अहंकार व ममकार प्राणी के शत्रु है - आचार्य श्री विवेक सागर जी

जयपुर| श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर कीर्तिनगर जयपुर मैं 7 दिसम्बर 2019 को आयोजित धर्म सभा में प्रखर प्रवक्ता 108 आचार्य श्री विवेक सागर जी  महाराज ने कहा कि अहंकार व ममकार प्राणी के शत्रु है। इनसे कषाय भाव बढ़ते है जो जीवन मे बाधक एवं दुखदायी है। अहंकार वश मानव झुकना नही चाहता वरन दुसरो को झुकाना  चाहता है व उन्हें छोटा समझता है। आचार्यश्री ने कहा कि आज धन ही सर्वोपरि है। धनवान ही समाज मे प्रतिष्ठित माना जाता है। सदाचारी व धार्मिक को कोई सम्मान नही मिलता।
विनय सर्वोत्तम गुण है। विनय से ज्ञान, ज्ञान से दर्शन, दर्शन से चरित्र, चरित्र से मोक्ष मार्ग प्रशस्त होता है। जीवन मे विनम्रता से अहंकार का क्षय तथा देव गुरु शास्त्रो में श्रद्धा आती है, विनयी मानव सभी को प्रिय लगता है। जीवन मे कठोरता व अहंकार का परित्याग कर विनम्र बनने में सार्थकता है।

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