जयपुर। राजस्थान के लिए गर्व की बात है कि हमारे प्रदेश की ग्रामीण महिलाओं की हस्त निर्मित कलाकृतियों की मांग मेट्रो शहरों में तेजी से लगातार बढ़ रही है। मंुबई, दिल्ली, अहमदाबाद, बैंगलौर आदि मेट्रो शहरों राजस्थान के टेराकोटा, जूट, ब्लैक और ब्ल्यू पाॅट्री उत्पाद बहुतायात में खरीदे और सराहे जा रहे हैं। गर्व के साथ खुशी की बात यह भी है कि कभी घर की दहलीज तक सीमित दो समय के खाने के लिए संघर्ष करने वाली निर्धन परिवारों की ग्रामीण महिलाएं आज आत्मनिर्भर बन कर इन उत्पादों से सालाना 4 लाख रूपए तक कमा रही हैं। राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद् (राजीविका) और ग्रामीण विकास विभाग की ओर से रामलीला मैदान में आयोजित जयपुर सरस राष्ट्रीय क्राफ्ट मेले में ये रोचक और गौरवपूर्ण तथ्य सामने आए।
राजस्थानी हस्त शिल्प के जूट, टेराकोटा, ब्ल्यू पाॅट्री की संुदर और मनमोहक कलाकृतियां मेट्रो शहरों के घरों की रौनक को दोगुना कर रही हैं। मेले में राजस्थान सहित देश के 22 राज्यों की 300 स्वयं सहायता समूहों की ग्रामीण महिला शिल्पकार और उत्पादक भाग ले रही हैं। 21 मार्च तक सुबह 11 से रात 9 बजे तक ग्रामीण निर्धन महिला शिल्पकारों के उत्पादों की बिक्री के लिए रामलीला मैदान में मेला आयोजित किया जा रहा है। राजस्थान की जूट, टेराकोटा, ब्ल्यू पाॅट्री के उत्पाद बना कर आत्मनिर्भर बनने वाली महिलाओं ने बताया कि दिल्ली, मंुबई, बैंगलोर, और अहमदाबाद आदि मेट्रो शहरों में राजस्थान के जूट, टेराकोटा, ब्ल्यू पाॅट्री उत्पादों ने विशिष्ट पहचान प्राप्त की है। देश के मेट्रो शहरों के लोगों की खरीद में राजस्थानी हस्त निर्मित उत्पाद पहली पसंद बन कर उभरे हैं। मेट्रो शहरों में राजस्थान के हस्तनिर्मित उत्पादों की सबसे ज्यादा मांग और बिक्री हो रही है। प्रदेश में यह पहला अवसर है जब 22 राज्यों की निर्धन परिवारों की ग्रामीण महिला शिल्पकार भाग ले रही हैं। दमन- दीव, नागालैंड,ं केरल आदि दूरस्थ राज्यों की ग्रामीण महिला शिल्पकारों के लिए राजस्थान में मंच उपलब्ध कराया गया है, विभिन्न राज्यों की कला और संस्कृति के साथ परम्परागत व्यंजन भी जयपुर वासियों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हैं। 22 राज्यों की ग्रामीण महिला आत्मनिर्भरता और सशक्तिकरण के लिए पहला सार्थक प्रयास राजस्थान से शुरू हो रहा है।कला और आत्मविश्वास से मिली आत्मनिर्भरता
राजस्थान की ग्रामीण महिला शिल्पकार और उत्पादक श्रीमती सन्ता बाई, श्रीमती बृजेश भार्गव, श्रीमती सुशीला देवी, श्रीमती शारदा देवी ने बताया कि पहले परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत दयनीय थी। राजीविका के माध्यम से स्वयं सहायता समूह से जुड़ कर कला और परिश्रम को सार्वजनिक व सामूहिक मंच मिला। राजीविका के सहयोग से मिली आत्मनिर्भरता से जीवन को नई दिशा मिली है। अपनी कला और परिश्रम से प्राप्त आत्मनिर्भरता से जीवन के प्रति नया दृष्टिकोण विकसित हुआ है। कभी सोचा भी नहीं था कि हमारे हुनर को पूरे देश में सराहना प्राप्त होगी और हम आत्मनिर्भर बन सकेंगे। खुशी है कि अब हम किसी पर आश्रित नहीं हैं हमारे परिश्रम से परिवार आर्थिक रूप से मजबूत बन कर आगे बढ़ रहा है।
यह उत्पाद भी मेट्रो शहरों में बन गए हैं खास
राजस्थान की महिला उत्पादकों की बाड़मेरी काछ कसीदाकारी के टेबल, कवर, कुशन, बैग, पर्स, तोरण, चमड़े के बनाई की जूती- चप्पल, सजवाट की वस्तुएं, विभिन्न प्रकार के पापड़, नमकीन, अचार, भुजिया, रंगीन सूती कपड़े, परम्परागत वस्त्र भी मेट्रो शहरों को खूब रास आ रहे हैं। उदयपुर संभाग के अरावली क्षेत्र के आयुर्वेदिक उत्पादों की भी खरीद बढ़ रही है। ग्रामीण विकास और पंचायती राज के मुख्य सचिव और वरिष्ठ आईएएस. श्री रोहित कुमार सिंह ने ग्रामीण निर्धन वर्ग के परिवारों की महिलाओं के आत्मविश्वास और शिल्पकारी की सराहना की। राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद् की राज्य मिशन निदेशक आईएएस. श्रीमती शुचि त्यागी ने बताया कि मेले का उद्देश्य निर्धन वर्ग की ग्रामीण महिला शिल्पकारों और उत्पादकों के उत्पादों की बिक्री के लिए उपयुक्त मंच उपलब्ध कराना है, इससे ग्रामीण महिला आत्मनिर्भरता और सशक्तिकरण को बढ़ावा मिलेगा।
नेताजीसुभाष चंद्र बोस के जीवन का अग्निपथ
रात के समय सांस्कृतिक आयोजन मेंध नेताजी सुभाष चंद्र बोस के आजादी के लिए संघर्ष पर आधारित अग्निपथ नाटक का कलाकारों द्वारा मंचन किया गया। नाटक के कलाकारों ने उत्कृष्ट अभिनय कर नेताजी आजादी के स्वप्न को पूरा करने के लिए अपने देशभक्त मित्रों की सहायता से अंग्रेजों को चकमा देकर काबुल, रूस आदि की यात्राएं करते हुए आर्लिन्दो मत्सोदा बन कर काबुल, रूस आदि की संघर्षपूर्ण और कठोर यात्राएं करते हुए बर्लिन पहंुचने के वृतांत को अपने सशक्त अभिनय से जीवंत किया। राजस्थानी लोकगीत और नृत्यों की प्रस्तुति ने समा बांधा। मेले में उपस्थिति दर्शकों ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की देशभक्ति और आजादी के लिए संघर्ष पूर्ण जीवन चुनने के सम्मान में जम कर तालियां बजाईं।
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