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जयपुर। मनुष्य अपने प्रिय और अप्रिय भावों को अभिव्यक्ति देने के लिए विवश हो उठता है और उसकी वही कामना, कला के रूप में साकार हो उठती हे. कला के रूप में मानव स्वयं की अभिव्यक्ति करता है, कला एक ऐसी चीज़, जिसको सम्पूर्ण रूप से कभी परिभाषित नही किया जा सकता है, एक जो अकेली चीज़ कला को परिभाषित कर सकती है वो है आपकी रचना और ये भी उन्हीं में ढूंढने से मिलती है जो वाक़ई कला के प्रति अपने आप को समर्पित कर देते हैं । यूँतो  भारत के साथ साथ दुनिया ने  कई नामी  कलाकारों को जन्म दिया है। तब ज़माना अलग था आज अलग है पर जो चीज़ बिल्कुल नही बदली, वो है कलाकारों के दिमाग में चल रही रचनात्मक ख्यालातों की झांकिया जिसको उकेर ने की परंपरा सदियों से यूहीं चली आ रही है।
आज इस लेख के ज़रिए आपको भी एक ऐसी महिला से मुखातिब करवाने की सोची जिनका जीवन मानो केवल पेंटिंग्स के लिए ही बना हो, इनका नाम है मधु सिंह।
यहां बात केवल मधु सिंह की पेंटिंग्स को लेकर नही होगी, पेंटिंग्स तो हर कोई बना लेता ही है ,पर एक व्यक्ति पेंटिंग कर मास्टर पीस को जन्म देता है उसकी बात ही कुछ अलग होती है एक ऐसा मास्टर पीस जो दुनिया में केवल एक होगा और यही खूबी मधु सिंह को कलाकारों की रचनात्मक दुनिया में सबसे अलग बनाती है, 
मथुरा की भूमि से तारलुकात रखने वाली मधु सिंह से जब बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ तब बहुत सी चीजें प्रेरणा और सीखने-सिखाने का एक उदाहरण पेश हुआ।
मधु को पेटिंग का शौक शुरू से ही था, बचपन में वे अपने गाँव की माटी, गोबर खड़िया, गेरुआ आदि चीजों संग अपनी सोच को उकेरा करती थी उस वक़्त मधु के मन में ये कभी ख्याल नही आया कि वे आगे चलकर इसे अपना प्रोफ़ेशन भी बना सकतीं हैं, समय के साथ-साथ मधु तो आगे बड़ती चली गईं पर उनका पेंटिंग्स के प्रति लगाव ने उन्हें छोड़ा नही, आगे चल कर मधु ने अगर यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया घरवालों का दबाव ये था कि नही हमें अपनी बेटी को बी.एससी ही करवानी है मधु ने इस पढ़ाई को लेकर खूब मेहनत भी की पर मन लगा नही,  वे तब भी पेंटिंग्स और कई स्केचेस करती रहती थी वे हमेशा उस वक़्त कई बड़े कलाकारों को फ़ॉलो किया करती थी पर मधु के भविष्य के  समय को कुछ और ही मंजूर था मधु ने अपनई ग्रेजुएशन को बीच में ही ड्राप कर दिया घर वालों के सामने मधु ने आत्मविश्वास के साथ कहा कि नही "मुझे इसमें पढ़ाई नही करनी मुझे कुछ और करना है" उस वक़्त मधु के  घरवालों की प्रतिक्रियाएं बेहद अलग असमंजस से भरी हुई थी, घर वाले जैसे तैसे माने और फिर मधु ने बीए में अपना मुख्य सब्जेक्ट पेंटिंग और लिटरेचर में पढ़ाई पूरी की इसके साथ ही मधु ने अपनी उच्च स्तरीय शिक्षा राजस्थान यूनिवर्सिटी से प्राप्त की।
अपनी शिक्षा हासिल करने के उपरांत वे अपने मुख्य पैशन यानी पेंटिंग के काम काम को लेकर हमेशा सचेत रहीं उन्हें बाद में अपने आप को और खोजने और निखारने के लिए जोधपुर और जयपुर से बाहर निकलना बेहतर लगा और फिर क्या था मधु आपने लम्बे सफ को तय करने और सपनों को पूरा करने मुम्बई निकल पड़ीं वे अपनी पढ़ाई के साथ ही अपनी पेंटिंग्स को और समय देने लग गईं उस दौरान मधु अपनी रचनात्मक सोच और ख्यालातों को कैनवास पर उकेरना शुरू कर चुकी थीं।
मधु की मेहनत रंग तो लानी ही थी उन्होंने मुम्बई में 3 से 4 साल रहकर कला की दुनिया में अपना नाम, शोहोरात और परचम लहराया आज खुद मधु कई आर्ट गैलरीज़ में अपनी पेंटिंग्स को दर्शा चुकी हैं जहां उन्होंने अवाम की नज़रों में अपना अलग स्थान बनाया है कला को लेकर मधु कई अवार्डों से नवाज़ी जा चुकी हैं। आज वे मानती हैं कि मेरे परिवार के प्रति उस वक़्त पढ़ाई को लेकर खिलाफ जाना मेरी आज की प्राप्त हुई सक्सेस में एक अहम भूमिका निभा रहा है।
एक सवाल के जवाब में मधु का कहना था कि जब भी कोई कलाकार पेंटिंग बनाने बैठता तब उसे भी पता नही होता कि आगे चल कर वो पेंटिंग क्या कुछ आपको बताने की कोशिश करे उस दौरान एक कलाकार के मन और मस्तिक्ष में जो कुछ ख्यालात चल रहे होते हैं उसे वो बस उकेरने की सोचता है उसका और उसका नतीजा बेहद रचनात्मक ढंग से सामने उभर कर आ निकलता है।
मधु सिंह की पेंटिंग्स को गौर से देखा जाए तो वो अपने आप में वह बहुत कुछ कह जाती हैं, उनके द्वारा बनाई गई बुल इन द सिटी नामक एक पेंटिंग में आज के समय चल रही तमाम समस्याओं और बुरे वक़्त को  दर्शाया गया है जिसमें दो बैलें नज़र आ रही हैं जो आज वक़्त में चल रहे आतंक को दर्शा रही हैं, ये आतंक कुछ भी हो सकता है फिर चाहे आप कोरोना को लेलें या फिर एक इंसान पर हो रहे उत्पीड़न को ही लेलें, पेंटिंग में और गहराईयों में जाने के बाद आपको ऊपर सीधे हाथ पर दिखाई देगा, जहां एक और बैल और पैसे हैं ये दर्शा रहा है कि कुछ लोग आज के समय पैसों की ताकत पर भरोसा रखते तो कुछ अलौकिक शक्तियों पर ऐसी ही कुछ और भी चीजें आपको इस तरह की कलाकारी में देखने को मिलेंगी खैर अलग अलग लोगों के मायनों में इसके अर्थ अलग अलग हो सकते हैं लोग अचंबित हों इसी को तो बेशक यही आर्ट कहा गया है, पर रचना को जिस हद तक मधु ने अपनी कला के ज़रिए उकेरा वो वाक़ई काबिलियत तारीफ है। 
मधु का मानना है कि आज के भारत में जहां लोग अपने बच्चों को डॉक्टर इंजीनियर बनाना चाहते हैं उनका कभी फोकस इस फील्ड पर नही जाता वे बस इसको एक हॉबी समान ही समझ लेते है , कला की भारत में आज बहुत जरूरत है, और हमारा इतिहास भी इसका गवाह रह चुका है। 
लेकिन ये बात भी कहीं न कहीं सत्य है कि अगर वाक़ई किसी इंसान को काला में अंतरात्मा से लगाव है केवल वही इस फील्ड में आगे बढ़ और सोच सकता है। अंत में उन्होंने यह भी बताया की वह अपनी सफलता के पीछे अपने माता पिता का हाथ मानती हैं जिन्होंने उनकी हर पल सहारा दिया है।

परिवार की डांट से शिखर तक पहुचने तक का सफर, मिलिए कला की दुनिया में परचम लहरा रहीं मधु सिंह से

जयपुर। मनुष्य अपने प्रिय और अप्रिय भावों को अभिव्यक्ति देने के लिए विवश हो उठता है और उसकी वही कामना, कला के रूप में साकार हो उठती हे. कला के रूप में मानव स्वयं की अभिव्यक्ति करता है, कला एक ऐसी चीज़, जिसको सम्पूर्ण रूप से कभी परिभाषित नही किया जा सकता है, एक जो अकेली चीज़ कला को परिभाषित कर सकती है वो है आपकी रचना और ये भी उन्हीं में ढूंढने से मिलती है जो वाक़ई कला के प्रति अपने आप को समर्पित कर देते हैं । यूँतो  भारत के साथ साथ दुनिया ने  कई नामी  कलाकारों को जन्म दिया है। तब ज़माना अलग था आज अलग है पर जो चीज़ बिल्कुल नही बदली, वो है कलाकारों के दिमाग में चल रही रचनात्मक ख्यालातों की झांकिया जिसको उकेर ने की परंपरा सदियों से यूहीं चली आ रही है।
आज इस लेख के ज़रिए आपको भी एक ऐसी महिला से मुखातिब करवाने की सोची जिनका जीवन मानो केवल पेंटिंग्स के लिए ही बना हो, इनका नाम है मधु सिंह।
यहां बात केवल मधु सिंह की पेंटिंग्स को लेकर नही होगी, पेंटिंग्स तो हर कोई बना लेता ही है ,पर एक व्यक्ति पेंटिंग कर मास्टर पीस को जन्म देता है उसकी बात ही कुछ अलग होती है एक ऐसा मास्टर पीस जो दुनिया में केवल एक होगा और यही खूबी मधु सिंह को कलाकारों की रचनात्मक दुनिया में सबसे अलग बनाती है, 
मथुरा की भूमि से तारलुकात रखने वाली मधु सिंह से जब बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ तब बहुत सी चीजें प्रेरणा और सीखने-सिखाने का एक उदाहरण पेश हुआ।
मधु को पेटिंग का शौक शुरू से ही था, बचपन में वे अपने गाँव की माटी, गोबर खड़िया, गेरुआ आदि चीजों संग अपनी सोच को उकेरा करती थी उस वक़्त मधु के मन में ये कभी ख्याल नही आया कि वे आगे चलकर इसे अपना प्रोफ़ेशन भी बना सकतीं हैं, समय के साथ-साथ मधु तो आगे बड़ती चली गईं पर उनका पेंटिंग्स के प्रति लगाव ने उन्हें छोड़ा नही, आगे चल कर मधु ने अगर यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया घरवालों का दबाव ये था कि नही हमें अपनी बेटी को बी.एससी ही करवानी है मधु ने इस पढ़ाई को लेकर खूब मेहनत भी की पर मन लगा नही,  वे तब भी पेंटिंग्स और कई स्केचेस करती रहती थी वे हमेशा उस वक़्त कई बड़े कलाकारों को फ़ॉलो किया करती थी पर मधु के भविष्य के  समय को कुछ और ही मंजूर था मधु ने अपनई ग्रेजुएशन को बीच में ही ड्राप कर दिया घर वालों के सामने मधु ने आत्मविश्वास के साथ कहा कि नही "मुझे इसमें पढ़ाई नही करनी मुझे कुछ और करना है" उस वक़्त मधु के  घरवालों की प्रतिक्रियाएं बेहद अलग असमंजस से भरी हुई थी, घर वाले जैसे तैसे माने और फिर मधु ने बीए में अपना मुख्य सब्जेक्ट पेंटिंग और लिटरेचर में पढ़ाई पूरी की इसके साथ ही मधु ने अपनी उच्च स्तरीय शिक्षा राजस्थान यूनिवर्सिटी से प्राप्त की।
अपनी शिक्षा हासिल करने के उपरांत वे अपने मुख्य पैशन यानी पेंटिंग के काम काम को लेकर हमेशा सचेत रहीं उन्हें बाद में अपने आप को और खोजने और निखारने के लिए जोधपुर और जयपुर से बाहर निकलना बेहतर लगा और फिर क्या था मधु आपने लम्बे सफ को तय करने और सपनों को पूरा करने मुम्बई निकल पड़ीं वे अपनी पढ़ाई के साथ ही अपनी पेंटिंग्स को और समय देने लग गईं उस दौरान मधु अपनी रचनात्मक सोच और ख्यालातों को कैनवास पर उकेरना शुरू कर चुकी थीं।
मधु की मेहनत रंग तो लानी ही थी उन्होंने मुम्बई में 3 से 4 साल रहकर कला की दुनिया में अपना नाम, शोहोरात और परचम लहराया आज खुद मधु कई आर्ट गैलरीज़ में अपनी पेंटिंग्स को दर्शा चुकी हैं जहां उन्होंने अवाम की नज़रों में अपना अलग स्थान बनाया है कला को लेकर मधु कई अवार्डों से नवाज़ी जा चुकी हैं। आज वे मानती हैं कि मेरे परिवार के प्रति उस वक़्त पढ़ाई को लेकर खिलाफ जाना मेरी आज की प्राप्त हुई सक्सेस में एक अहम भूमिका निभा रहा है।
एक सवाल के जवाब में मधु का कहना था कि जब भी कोई कलाकार पेंटिंग बनाने बैठता तब उसे भी पता नही होता कि आगे चल कर वो पेंटिंग क्या कुछ आपको बताने की कोशिश करे उस दौरान एक कलाकार के मन और मस्तिक्ष में जो कुछ ख्यालात चल रहे होते हैं उसे वो बस उकेरने की सोचता है उसका और उसका नतीजा बेहद रचनात्मक ढंग से सामने उभर कर आ निकलता है।
मधु सिंह की पेंटिंग्स को गौर से देखा जाए तो वो अपने आप में वह बहुत कुछ कह जाती हैं, उनके द्वारा बनाई गई बुल इन द सिटी नामक एक पेंटिंग में आज के समय चल रही तमाम समस्याओं और बुरे वक़्त को  दर्शाया गया है जिसमें दो बैलें नज़र आ रही हैं जो आज वक़्त में चल रहे आतंक को दर्शा रही हैं, ये आतंक कुछ भी हो सकता है फिर चाहे आप कोरोना को लेलें या फिर एक इंसान पर हो रहे उत्पीड़न को ही लेलें, पेंटिंग में और गहराईयों में जाने के बाद आपको ऊपर सीधे हाथ पर दिखाई देगा, जहां एक और बैल और पैसे हैं ये दर्शा रहा है कि कुछ लोग आज के समय पैसों की ताकत पर भरोसा रखते तो कुछ अलौकिक शक्तियों पर ऐसी ही कुछ और भी चीजें आपको इस तरह की कलाकारी में देखने को मिलेंगी खैर अलग अलग लोगों के मायनों में इसके अर्थ अलग अलग हो सकते हैं लोग अचंबित हों इसी को तो बेशक यही आर्ट कहा गया है, पर रचना को जिस हद तक मधु ने अपनी कला के ज़रिए उकेरा वो वाक़ई काबिलियत तारीफ है। 
मधु का मानना है कि आज के भारत में जहां लोग अपने बच्चों को डॉक्टर इंजीनियर बनाना चाहते हैं उनका कभी फोकस इस फील्ड पर नही जाता वे बस इसको एक हॉबी समान ही समझ लेते है , कला की भारत में आज बहुत जरूरत है, और हमारा इतिहास भी इसका गवाह रह चुका है। 
लेकिन ये बात भी कहीं न कहीं सत्य है कि अगर वाक़ई किसी इंसान को काला में अंतरात्मा से लगाव है केवल वही इस फील्ड में आगे बढ़ और सोच सकता है। अंत में उन्होंने यह भी बताया की वह अपनी सफलता के पीछे अपने माता पिता का हाथ मानती हैं जिन्होंने उनकी हर पल सहारा दिया है।

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